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जरा देखें ,कि दशहरे पर हमारे अंदर का रावण ,पूरी तरह जला या नहीं

कीर्ति वर्रा
त्रेता युग में रावण के 10 मस्तक थे , उन्हीं 10 मस्तक के साथ , हम कलयुग में रावण का पुतला बनाकर कुंभकरण और मेघनाथ के साथ प्रतिवर्ष जलाते हैं और सोचते हैं ,रावण दहन कर दिया ,किंतु इस कलयुग में रावण के 10 मस्तक नहीं ,बल्कि ऐसे सैकड़ों मस्तक हैं जिन्हें कभी भी जलाया नहीं जा सकता , अगर प्रयास भी करोगे तो एक-दो मस्तक बाकी रह जाएंगे l इसमें से मुख्य रूप से जो रावण के मस्तक है वह हमारे अपने शरीर में है ,लालच ,हिंसा ,जलन, व्यभिचार, कटुता ,निर्लज्जता नीचा दिखाने की होड़ ,टांग खींचने की होड़ दिखावा चापलूसी मक्कारी कालाबाजारी भ्रष्टाचारी आतंकवादी और ऐसी अनेक रावण रूपी रचनाएं, हमारे शरीर में मौजूद है ,जो समय समय पर प्रस्फुटित होती रहती है और उन्हें हम अच्छे से जानते भी हैं ,सिर्फ नवरात्रि ,कन्या पूजन और रावण दहन ,हल नहीं l
9 दिन की चांदनी, फिर अंधेरी रात
नवरात्रि की पूजा हो गई और रावण दहन भी हो जाएगा और फिर से शुरू होगी ,एक नई सुबह l
सब कुछ भूलते हुए ,महिलाओं पर अत्याचार का सिलसिला जारी ,जैसे ही रावण दहन ,के बाद भी जाग गए हो नए रावण l
आखिर कब होंगे दहन ,ऐसे रावण भी जिनकी दहशत से घर की बेटियां असुरक्षित है l
क्या किसी को लगता है कि नवरात्रि खत्म होने के बाद ,खत्म होगा रावण राज ,शायद नहीं ,क्योंकि वर्तमान में जिस तरीके से नारी जाति पर अत्याचार से लेकर ,ऐसी दास्तान ,जिसे सुनने के बाद आंखों से आंसू तक निकल आते हैं ,क्या यह सिर्फ बातें त्योहारों में सिमट के रह गई l
9 दिन तक त्योहार मनाओ और दसवे दिन रावण दहन करो और 11 वे दिन फिर से शुरू महिला अत्याचार ,जैसे कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार ,छेड़खानी डर, दहशत, दूर से घूरती निगाहें ,जो अंदर ही अंदर नारी झकझोर देती है
ऐसे ही अत्याचार जो अब तक नारी जाति पर होता आ रहा है ,जिन पर अंकुश तो नहीं लगा ,लेकिन राजनीति गरमाई या फिर कहीं मौन रैली ,तो कहीं कैंडल मार्च जलाए गए ,लेकिन नहीं मिला तो इंसाफ, नारी को l
मेरे शब्द किसी की बुराई नहीं करते बल्कि जिससे जो भी बना उन्होंने अब तक किया ,नारी के प्रति ,लेकिन आखिर कब मिलेगा इंसाफ नारी को
हम नवरात्रि बनाते क्यों हैं ,ताकि नौ कन्याओं की पूजा करें और रावण को दहन करें ,लेकिन यहां तो कुछ उल्टा ही हो रहा है ,जैसे नौ कन्याओं की पूजा करने के बाद ,भी कई लोग कन्याओं को प्रताड़ित करते हैं ,शायद इसीलिए रावण को जलाने के बाद भी ,एक नया रावण हर रोज जिंदा हो जाता है
ऐसी कई बातें आज भी उन माता-पिता को रोने पर मजबूर कर देती है ,जिनकी बेटियां ऐसे ही कई हादसों की शिकार बन चुकी है ,क्योंकि मेरे शब्द ऐसे हादसों का जिक्र करना नहीं चाहते, जिसे पढ़ने के बाद ,बीता हुआ कल याद आए ,फिर से तकलीफों के साथ नारी जाति अपना जीवन गुजारा l
वह दिन कब आएगा ,जब भारतवर्ष की नारियां, स्वतंत्र आकाश के नीचे अपने आप को सुरक्षित पाएगी और बिना किसी डर के अपने घर जाएगी l

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