कीर्ति वर्रा
मध्यप्रदेश में अवैध शराब का कारोबार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है कहीं पर अवैध शराब का जखीरा तो फिर कहीं पर अवैध शराब पकड़ी ही जा रही है जैसे कि अवैध शराब बनाने वालों की संख्या ज्यादा हो और पकड़ने वालों की संख्या कम मुखबिर तंत्र पर धीरे धीरे सफाया किया जा रहा है अवैध शराब को लेकर ऐसा ही सिलसिला जारी है अब तक अगर देखा जाए शहर की कहीं गलियों में बिक रही है अवैध शराब बस देखने का नजरिया चाहिए लेकिन कहीं गली मोहल्लों पर नजर अंदाज कर के आंख मिचौली का खेल खेला जाता है और बिकती इस अवैध शराब को बढ़ावा देकर अपनी जेब गर्म की जाती है और फिर नशे की लत में आज के नवयुवक जो की मेहनत मजदूरी करते हैं वह कम पैसों के चलते जहरीली शराब पीने के आदी हो जाते हैं आखिर कब मिलेगा छुटकारा इस जहरीली शराब से आज के नव युवकों को लेकर तो बुजुर्ग तक को जिस जहरीली शराब ने अपना शिकार बनाने में रत्ती भर भी कसर नहीं छोड़ी जैसे कि अवैध शराब का कारोबार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है और धरपकड़ कम पैमाने पर हो रही है अगर देखा जाए तो गली मोहल्लों में बिकने वाली अवैध शराब पर अंकुश लगाते हुए शक्ति से पूछताछ की जाए तो कहीं बड़े खुलासे हो सकते हैं क्योंकि रास्ते इन्हीं को पता है आखिर कहां से आती है अवैध शराब लेकिन गली मोहल्ले के कुछ सख्त पकड़े भी गए तो अवैध शराब के कुछ क्वार्टर के साथ तो इसकी सजा ही कुछ ऐसी है कि अगले दिन फिर उनका रवैया चालू हो जाएगा अवैध शराब बेचते हुए ऐसे ही कहीं झलक देखने को मिली अब तक अवैध शराब पकड़ाई आरोपी गिरफ्तार पत्रकारों ने अपने शब्द लिखें
आखिर कब अवैध शराब के शब्दों की आहट को कब मिलेगी राहत हर कोई पत्रकार लिखता है अवैध शराब पर अंकुश लगाया जाए लेकिन यहां तो अवैध शराब का सिलसिला एक कलम के माध्यम से लिखने के बाद भी ठंडे बस्ते में रहा और सिलसिला आज भी जारी है अवैध शराब का कारोबार क्योंकि अंकुश तो नहीं लगना है शराबी और शराब पर हम ऐसा कह सकते हैं क्योंकि हर बार अवैध शराब का कारोबार पकड़ाता है लेकिन जब कोई इस अवैध शराब से मौत के मुंह में सो जाता है तो जाग जाती है हर किसी की नींद और फिर वक्त निकलने के बाद सब वैसा के वैसा