मध्यप्रदेश के अंतिम छोर का हुनर बाज, बना किसानों का मददगार.....कम लागत में तैयार किए खेती किसानी के उपयोगी उपकरण, मिनी ट्रेक्टर बना अन्नदाता का हमसफ़र.....देश के कई राज्यों में छाया नयागांव की राजस्थान इंजीनियरिंग का नाम.....पिता की विरासत को आगे ले जाते हुए, दो भाइयों ने पेश की आत्मनिर्भर भारत की मिसाल......
एक कहावत तो आपने सुनी होगी "सौ सुनार की एक लौहार की"...जी हाँ एक लौहार की एक ऐसी ही कहानी जिसके हुनर और जज्बे ने किसान की राह आसान करते हुए, उसे आत्मनिर्भर बना दिया... कम लागत में खेती किसानी से जुड़े ऐसे उपकरणों को इजात किया, जो छोटे किसानों के लिए आज बड़े लाभदायक साबित हो रहे है...जुगाडू कौशलता में अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, नयागांव स्थित राजस्थान इंजीनियरिंग के संचालक दो भाई आज देश भर के कई इलाको में अपनी छाप छोड़ रहे है, जहाँ किसान इनके बनाये उपकरणों को खेती किसानी के कार्यों में उपयोग कर खेती को लाभ का धंधा बनाने की और अग्रसर कई राज्यों की सरकारों की पहल को साकार कर रहे है...!
कृषि उपकरणों के निर्माण में अग्रणी इस छोटे से कारखाने के सबसे छोटे हुनर बाज विशाल लौहार बताते है, की उनका प्रमुख उद्देश्य किसानों को कम से कम कीमत में ऐसे संसधान उपलब्ध कराना है, जो कृषि कार्यों में उपयोगी हो, और कम खर्चे में देश के अन्नदाता की राह इससे आसान हो सके,
मध्यप्रदेश के अंतिम छोर और राजस्थान की सीमा पर स्थित नीमच जिले के छोटे से कस्बे नयागांव की ख्याति आज राजस्थान इंजीनियरिंग द्वारा इजात किये गए कृषि उपकरणों के चलते देश के कई राज्यो में अपनी अमिट छाप छोड़ रही है...वहीं नयागांव की यह कौशलता देश की सीमा से पार नेपाल में भी अपना डंका बजा रही है...तकरीबन 600 से अधिक जुगाडू कृषि उपकरण नयागांव की राजस्थान इंजीनियरिंग से तैयार होकर किसानों के खेतों तक पहुँचकर अन्नदाता के मददगार साबित हो रहे है...!
उत्कृष्ट कौशलता की इसी कड़ी में मिनी ट्रेक्टर के रूप में राजस्थान इंजीनियरिंग के संचालक विशाल लौहार, योगेश लौहार और उनकी टीम ने एक ऐसा जुगाड़ तैयार किया है, जिसने छोटे किसानों की बड़ी समस्या को एक तरह से खत्म करने की और कदम बढ़ाया है...महज 1लाख 65 हजार मूल्य का यह जुगाड़ कृषि कार्यों में अति उपयोगी साबित हो रहा है...जो बुवाई से लेकर खरपतवार निकालने और फसलों में दवा छिड़काव करने में अहम साबित हो रहा है...
बहरहाल नयागांव की राजस्थान इंजीनियरिंग ने छोटे किसानों के बड़े फायदे से जुड़े कृषि उपकरणों को इजात तो किया, लेकिन यहाँ जुगाडू कौशलता के इस हुनर को सरकारी प्रोत्साहन नही मिल सका...लिहाजा सीमित संसधानों के बीच कम लागत के कृषि उपकरणों के निर्माण में बाधाएं भी उतनी ही बनी हुई है...लेकिन सँघर्ष फिर भी जारी है, इस आस में की कभी तो उनके इस हुनर को और अधिक निखारने में सरकार सहारा बनेगी...!