✍ *कीर्ति वर्रा*
लोकतंत्र क्या है हम लगातार इस शब्द को सुनते रहते हैं, जब किसी मंच से ,किसी नेता की आवाज आती है तो ,सैकड़ों बार उसके मुंह से लोकतंत्र की बात सुनने को मिलते हैं
विपक्षी दल के किसी मंच से किसी नेता की आवाज आती है तब भी वहां ,लोकतंत्र शब्द सुनने को मिलते है ,किंतु वास्तव में लोकतंत्र की वास्तविक परिभाषा क्या है ..?
जो वर्तमान में जो परिस्थितियां चल रही हैं वह लोकतंत्र है, या पूर्व में जिन गलतियों के कारण सरकार को ठिकाने लगा दिया गया वह लोकतंत्र था ..?
देखा जाए तो लोकतंत्र अपने आप में वह शक्ति है जिसका हम सही उपयोग नहीं कर पाते l
लोकतंत्र की परिभाषा के आधार पर ,अगर हम देखें तो ,जनता द्वारा ,जनता के लिए, जनता पर ,चलाया जाने वाला, शासन ,लोकतंत्र कहलाता है l
इस शासन के अंतर्गत जनता का ही व्यक्ति सरकार बनाता है और जनता के लिए उसकी तरक्की के रास्ते बनाता है परंतु इतिहास और वर्तमान समय में ऐसा नहीं है क्योंकि जनता के बीच से उठा हुआ व्यक्ति ,जब सरकार बनाने के लिए भेजा जाता है तो ,वह व्यक्ति अपने आपको ईश्वर समझ लेता है और उसकी यही महत्वाकांक्षा , आम लोगों को खतरे में डाल देती है
अब यहां यह चीज समझ ना होगी की, यह स्थिति खड़ी क्यों होती है ,तो मैं आपको यह बात कहना चाहूंगा ,की राजा बनना, सत्ता का मोह, लालच होना या कहें कि सर्वोत्तम गद्दी प्राप्त होने पर ,उस चीज का नशा होना, एक साधारण सी बात हे
जब एक आम आदमी चुनने के बाद ,सरकार में जाता है तो वह आम लोगों की कठिनाइयों को जल्द ही ,भूलने की कोशिश करता है ,और अपने समान दिखने वाले लोगों से ,दूरी बना लेता है
चाहे वह पार्षद हो ,नगर अध्यक्ष हो ,सरपंच हो ,एमएलए ,एमपी हो यह सभी लोग अपने आप को ईश्वर समझकर ,आम जनता से मुंह मोड़ लेते हैं ,और यहीं से लोकतंत्र की हत्या होना प्रारंभ हो जाती है
आजादी के बाद से लेकर वर्तमान समय तक ,हर जनता से निकला हुआ नेता अपने आप को बाहुबली समझता है और सत्ता के नशे में आम लोगों को कचरा समझकर, उन पर इस प्रकार प्रभाव झड़ता है ,जैसे वह लोकतंत्र का हिस्सा नहीं ,बल्कि उसके घर के नौकर हो l
वर्तमान समय में जो सरकारें लोकतंत्र का साथ लेकर ,आम जनता की सुविधा के बारे में सोच रही है ,कहीं ना कहीं उनकी सोच में कमी है ,क्योंकि जिस प्रकार सरकारी अपना अस्तित्व बना रही है, ऐसा लगता है इतिहास में इन्हें याद रखना सरल होगा
एक आम नागरिक को सत्ता में आने के बाद ,उसे वही चीज करना चाहिए जिसे सोचकर वह वहां तक पहुंचा है ,या आम लोगों ने उसे वहां भेजा है
हिंदुस्तान में आज हर घर में नेता जन्म ले रहे हैं, यही कारण है कि आज हिंदुस्तान नेतागिरी के नाम पर विश्व विख्यात है
हर पहला ,दूसरा व्यक्ति नेता की भाषा में बात करता है ,यही कारण है कि छोटे से छोटे गांव में नेता शब्द बदनाम है
अंग्रेजों के जाने के बाद हमारे देश में हम में से ही निकले कुछ लोग अंग्रेजों की इस प्रवृत्ति को आज भी लागू करते हुए ,तानाशाह प्रवृत्ति से शासन कर रहे हैं, जो लोकतंत्र के लिए बहुत ही खतरा है और हो सकता है उनके खुद के लिए भी खतरनाक साबित हो l लोकतंत्र को जिंदा बनाए रखने के लिए एक हथियार हमारे पास आज भी मौजूद है, जिसे हम मतदान कहते हैं
इसे समय-समय पर धार करते रहें और खरपतवार को काटते रहे, जिससे अच्छी फसल हो और आने वाले समय में ,नस्ल भी अच्छी पैदा हो