कीर्ति वर्रा
नो दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात जैसे की नवरात्रि की पूजा हो गई हो और रावण दहन भी हो जाएगा और फिर से शुरू होगी एक नई सुबह सबकुछ कुछ भूल ते हुए महिलाओं पर अत्याचार का सिलसिला जारी जैसे कि रावण दहन के बाद भी जाग गए हो कहीं रावण आखिर कब होंगे दहन ऐसे रावण भी जिनकी दहशत से घर की बेटियां असुरक्षित है क्या किसी को लगता है कि नवरात्रि खत्म होने के बाद खत्म होगा रावण राज शायद नहीं क्योंकि वर्तमान में जिस तरीके से नारी जाति पर कहीं अत्याचार से लेकर ऐसी कहीं दास्तान जिसे सुनने के बाद आंखों से आंसू तक निकल आते हैं क्या यह सिर्फ बातें त्योहारों में सिमट के रह गई जैसे कि 9 दिन तक त्योहार मनाओ और दसवे दिन रावण दहन करो और 11 वे दिन फिर से शुरुआत महिला अत्याचार जैसे कि कन्या भ्रूण हत्या ऐसे ही कहीं अत्याचार जो अब तक नारी जाति पर होता आ रहा है जिन पर अंकुश तो नहीं लगा लेकिन राजनीति गरमाई या फिर कहीं मौन रैली तो कहीं कैंडल मार्च जलाए गए लेकिन नहीं मिला तो इंसाफ नारी को मेरे शब्द किसी की बुराई नहीं करते बल्कि जिससे जो भी बना उन्होंने अब तक किया नारी के प्रति लेकिन आखिर कब मिलेगा इंसाफ नारी को हम नवरात्रि बनाते क्यों हैं ताकि नौ कन्याओं की पूजा करें और रावण को दहन करें लेकिन यहां तो कुछ उल्टा ही हो रहा है जैसे कि नौ कन्याओं की पूजा करने के बाद भी कई लोग कन्याओं को प्रताड़ित करते हैं शायद इसीलिए रावण को जलाने के बाद भी एक नया रावण हर रोज जिंदा हो जाता है ऐसी कई बातें आज भी उन माता-पिता को रोने पर मजबूर कर देती है जिनकी बेटियां ऐसे ही कई हादसों की शिकार बन चुकी है क्योंकि मेरे शब्द ऐसे हादसों का जिक्र करना नहीं चाहती जिसे पढ़ने के बाद बीता हुआ कल याद आए फिर से तकलीफों के साथ