logo
add image

आखिर कब होगा किसानों की समस्याओं का समाधान

कीर्ति वर्रा

घोड़ा रोज़ पर किस की रोक इनकी तेज रफ्तार फसल को बर्बाद करते हुए क्या ऐसे ही होगा किसानों की समस्याओं का समाधान या फिर कोई उचित कदम उठाया जाएगा सालों से चली आ रही है समस्याएं आखिर कब लगेगा अंकुश या फिर ऐसे ही किसानों की मेहनत हजम करने के साथ-साथ डकार मारते रहेंगे किसानों की फसल को बर्बाद करने वाले घोड़ा रोज़*


किसानों की रातों की नींद उड़ाने वाले इन दिनों किसानों के लिए काफी ही चिंता का विषय बने हुए हैं आखिर कौन है इस चिंता का समाधान करने वाला शायद मेरे शब्द पढ़ने के बाद वह शख्स भी अजीब होंगे जो किसानों की फसल जिसे अन्नदाता कहा जाता है जिन्हें हर रोज खाकर भी बचाया नहीं जाता ऐसे कहीं अधिकारी भी अंधे होंगे जो सब कुछ देख कर भी अनदेखा कर देते हैं आखिर क्या किसानों की मेहनत की कोई कीमत नहीं होती जैसे कि कोई भी फसल हो उसकी कीमत तय करता है
*आपको तो पता ही होगा की मेहनत से ज्यादा अपने पेट पर हाथ कौन फेरता होगा*

कृषिप्रधान देश,समूचे हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी कहलाने वाला अन्नदाता किसान,आए दिन प्रकृति के प्रकोप से दो चार हाथ करते हुवे अपना जीवन यापन कर रहा है,अपने बच्चों की पढ़ाई से लेकर तो दो वक्त की रोटी वहअपनी परिवार की समस्याओं को लेकर भी निर्भर रहता है खेती पर फिर चाहे खुशी हो या गम अतिवृष्टि, सूखा,या अन्य आपदाओं से त्रस्त हो कर भी हिम्मत नही हारते हुवे ,फिर से डट कर खड़ा रहता है,क्यों कि ये समस्या हमेशा या निरन्तर क्रम में नही आती या रहती है परन्तु ,वर्तमान समय मे क्षेत्रीय किसान अन्नदाता रोज घोड़ा,(नीलगाय)नामक एक ऐसी आपदा ,विपदा,का शिकार हो रहा है जो कृषक वर्ग के लिए निरन्तर आपदा,विपदा,के रूप में विकराल रूप में समस्या बनकर उभर रही है,, समस्या भी ऐसी की जिसका कोई स्थाई समाधान ही नही नज़र आता दिख रहा है ,,किसान रात दिन कर अपनी फसल को अपने गाड़ी कमाई लगाकर बड़ी करने में लगा हुवा है ,लेकिन रोज घोड़ो के झुंड किसान की लहलहाती फसल को कुछ ही घंटों मिनटों में चौपट व बर्बाद करके रखदेते है ,इन रोज घोड़ो के लिए 3 ,से 5 फिट तक कि फेंसिंग ,बाड़, या बागर कोई मायने नही रखती है ,यह 4 से 5 फिट तक कि फेंसिंग को कूद कर लांग कर,आसानी से निकल जाते है,रोज घोड़ो के झुंड से किसानों में दहशत का माहौल बना हुवा है ,
रोज घोड़े 10,20,से लेकर 50 तक कि संख्या में रतलाम जिले कहीं तहसीलों में ,लगभग समूचे क्षेत्रो में है, ओर ज्यादा तादाद में होने के कारण यह दिन ओर रात के समय अचानक सड़क पर भी आ जाती है जिसके कारण वश क्षेत्र में इनके कारण क्षेत्र में कई सड़क हादसे भी होते रहते है,
इस समस्या को लेकर कई बार किसानों ने वन विभाग व स्थानीय प्रशासन को अवगत भी कराया है ,परन्तु वन विभाग या प्रशासन के पास भी इसका स्थाई समाधान या कोई अन्य उपाय नजर नहीं आता

Top