बेटे की याद में किसान दम्पति ने बनवाया छोटा हॉस्पिटल क्योंकि एक पिता के लिए बेटे से बड़ी और क्या दौलत होगी इन्हीं यादों को लेकर पिता ने बना दिया एक छोटा सा अस्पताल ताकि बेटे सुरक्षित रहे और उनके पिता को कई समस्याओं का सामना ना करना पड़े और किसी की जान बचाई जा सके जैसे कि एक पिता ने एक छोटा सा अस्पताल बनाकर कुछ ऐसा कर दिया कि इन लोगों के जेहन में इनके दिवंगत बेटे की यादें अमर हो गई हो जिसकी एक दुर्घटना में हो गई थी मौत और फिर बेटे की याद में पिता ने किया कुछ ऐसा कि अब गांव में ही भर्ती कर इलाज की सुविधा मिलेगी हर पिता के बेटे को*
कीर्ति वर्रा
रतलाम जिले के धराड़ गांव के रहने वाले पाटीदार दंपति जोकि पेशे से किसान है फिर भी अपनों की याद में, आपने अब तक कहीं लोगो को कई स्मारक बनाते तो जरूर देखे होंगे वही रतलाम में एक पिता ने अपने दिवंगत बेटे की याद में एक छोटा अस्पताल बनाकर ही गांव को भेट कर दिया जिनको अपने बेटे को खोने का गम जरूर है लेकिन अब अस्पताल का निर्माण कर संतुष्टि का भाव भी है जो कि एक पिता की यह पहल न केवल मानवता की बड़ी सेवा है | ताकि दूसरो की जान बचाई जा सके | 10 बिस्तरों वाला यह छोटा अस्पताल है | जिसकी चर्चा जोरो पर है |
गम की चोटें जख्मो पर, फौलाद से ज्यादा क्या होगी, और माँ -- बाप की दौलत, दुनिया में बेटे से बढ़कर क्या होगी | माँ की आँखों में आंसू , चेहरे पर बेटे के खोने का दर्द | पिता के मन में दिवंगत बेटे की यादें | लेकिन इन सभी बातो को पीछे छोड़कर इस पिता ने समाज के लिए कुछ ऐसा कर दिया की लोगो के जहन में इनके दिवंगत बेटे की यादें अमर हो गई |
ये है रतलाम के धराड़ गांव के रहने वाले पाटीदार दंपति ये पेशे से किसान है जिन्होंने अपने बेटे की याद में गांव को 10 बिस्तरों वाला अस्पताल का एक वार्ड ही बनाकर सौप दिया धराड़ गांव के हेमेंद्र पाटीदार ने अपने बेटे शिवम की याद में उसकी पुण्यतिथि पर अपने गांव को यह सौगात दी है कुछ साल पहले हुए एक सड़क हादसे में बेटे की मौत हो गई थी जिसे गांव में प्रारंभिक उपचार के बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया, लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं सके | पिता ने अपने बेटे को अपने आँखों के सामने मरता देखा तो प्रण किया की आगे से किसी भी पिता के साथ ऐसा ना हो और 4 लाख की लागत से बनाकर सौप दिया गाँव को एक 10 बिस्तरों वाला अस्पताल | जो अपने आप में एक मिसाल है |
वैसे तो धराड़ गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ केंद्र है | उसी कैम्पस में इस 10 बिस्तरों वाले अस्पताल की सौगात ग्रामीणों को मिली है | जिससे ग्रामीण और डॉक्टर दोनों खुश है | इस वार्ड को अब मेल मेडिकल वार्ड बनाकर पुरुषो को स्वास्थ सेवाएं दी जाएगी।
पिता हेमेंद्र पाटीदार के मन में अपने बेटे को खोने का गम जरूर है लेकिन अब अस्पताल का निर्माण कर संतुष्टि का भाव भी है | एक पिता की यह पहल, ना केवल मानवता की बड़ी सेवा है बल्कि अपने बेटे को दी गई सच्ची श्रद्धांजलि भी है |
हेमेंद्र पाटीदार (शिवम के पिता) द्वारा बताया गया कि
कोई उद्देश्य तो नही था। बस जनसेवा है। क्योंकि हॉस्पिटल बहुत जरूरी होता है। यह सब हम कोरोना काल मे भी देख रहे है जिसमे पता चला कि कितना जरूरी होता है। मेरे बेटे की सड़क दुर्घटना मैं मौत हुई थीं। हमने तभी सोचा था कि गाव में ही हॉस्पिटल बनाने का। इसके लिए पंचायत से जमीन मिल गयी थी। ज्यादा कोई कागजी कार्रवाई नही करनी पड़ी। यह मेरे बेटे की दूसरी पुण्यतिथि थी। यह पहले ही बन जाता लेकिन कोरोना के कारण देर हुई।
डॉ अजय शक्तावत ( ब्लाक मेडिकल आफिसर धराड) द्वारा बताया गया कि
उनके बेटे की दो साल पहले दुर्घटना में मौत हुई थी। उसकी याद को बनाये रखने के लिए उन्होंने मेल वार्ड बनाने की बात कही। यह अच्छी पहल है। उन्होंने बनाया यह गाव के लोगो को इमरजेन्सी में बहुत काम आएगा। इसके निर्माण में सी एम एच ओ सर ने भी तत्काल स्वीकृति दी। इस वार्ड में 7 पलंग सहित सम्पूर्ण सुविधा है। इस पहल से लोगो को सिख लेना चाहिए।
वहीं अगर आम जनों की बात की जाए तो वहां के स्थानीय निवासी भी इस पहल से काफी खुश हैं वही
हुकुमचंद पाटीदार ( नागरिक धराड गाव) द्वारा यह बताया गया कि
यह बहुत अच्छी पहल है। गाव के लोगो को सुविधा मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रो में स्वास्थ्य सुविधा की वैसी ही कमी है । यह पहल हमारे गाव से शुरू हुई है उम्मीद है कि अन्य गाव के लोग भी इसको अपनाएंगे। हेमेंद्र पाटीदार जी की इस पहल का स्वागत है।