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समाजसेवा की मिसालो में अलग पहचान के परिचायक बने हैं, पूर्व सरपंच राजेंद्र कुमार जैन.....जिसका कोई नही उसका तो रब है वाली कहावत को चरितार्थ कर गरीब मां की बेटी के हाथ पीले करने का उठाया जिम्मा.....

मंन्दसौर। यूं तो मानवता को लेकर कई किस्से जगजहिर होने की खबरे सुर्खियों में रही है । जो इंसानियत को बयां करती है। मानव जीवन में कुछ लोग ही ऐसे बिरले होते जिनके पास ईश्वर की ओर से बड़ा दिल दिया होता हैं जो मानव सेवा के कार्य में बढ़चड़कर अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं। ऐसे ही बिरले शक्स है मंदसौर जिले के गांधीसागर के पूर्व सरपंच राजेंद्र कुमार जैन जिन्होंने मानवता की मिशाल पेश करने के साथ ही ऊंच नीच के भेदभाव को दरकिनार करते हुए वाल्मीकि समाज से ताल्लुक रखने वाली गरीब परिवार की बेटी के विवाह समारोह का पूरा खर्च उठाने का जिम्मा लिया समाजसेवी सरपंच राजेंद्र कुमार जैन की इस दरियादिली को लेकर जहां उस गरीब परिवार की बेटी भावनात्मक रूप से अपने आप को खुश नसीब महसूस कर रही है वही बेटी की मां ने राजेंद जैन के रुप मे साक्षात ही भगवान को पा लिया है। जिसकी बेटी के आज हाथ पीले होंगे राजेंद जैन की भावुकता भरी नजरे इनायत होने से। सार्वजनिक जीवन में गांधी सागर निवासी सामाजिक कार्यों में अग्रणीय एवम् कान्ट्रेक्टर राजेन्द्र जैन किसी परिचय के मोहताज नही है नगर में सामाजिक ,धार्मिक अथवा किसी अन्य कार्य हो सदैव तन मन धन से सहयोग करने मे कतई पीछे नही हटते हैं । मानवता का दूसरा नाम मे प्रसिद्ध व्यक्ति राजेन्द्र जैन ने गांधीसागर के एक अत्यंत निर्धन परिवार मेहतर समाज की बालिका जिसके परिवार में किसी भी तरह से आजिविका का साधन नही है ऐसी बालिका के सगाई होने के पश्चात् जैसे ही इन्हे पता चला तो इनका मन उद्देलित हो उठा और उसके विवाह का संपूर्ण खर्च एक धर्मपिता की तरह उठाने दृढ निश्चच लिया इसमें सहभागिता के रूप में परिवारजन सहित इनकी पत्नी आशा जैन ने भी इस बालिका का विवाह एव सभी रीति रिवाज को धुमधाम से करने का बीडा उठाया । गांधीसागर की इस निर्धन परिवार सहित समाजजन ने कभी यह सोचा भी नही था कि इसका विवाह इस तरह सादगी और धूमधाम से होगा । बकायदा परिवार जन ने शादी को पत्रिका में सभी रिश्ते नातों के साथ वरिष्ट अमृतलाल जैन एवं राजेन्द्र जैन को साक्षी बनाया जिसकी नगर मे एक बहुत ही गहरा संदेश गया कि " जिसका कोई नही उसका खुदा है यारों " । इस प्रतिनिधी ने भामाशाह राजेन्द्र जैन से इस बारे में चर्चा की तो उन्होने बताया कि मैं इस परिवार को वर्षो से देख रहा हूँ जिसने कभी किसी के आगे झोली नही फैलाई इसी बात को मैने दृढ निश्चय किया कि इस परिवार की हर संभव मदद करने में सहायक बन संकू और ईश्वरीय शक्ति से मैनें इस बालिका की शादी धुमधाम से करने का मन बनाया यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा अवसर प्राप्त हुआ।

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