मध्य प्रदेश में सियासी संकट में होली के दिन मध्यप्रदेश की राजनीति के कई रंग देखने को मिले। पार्टी से नाराज चल रहे कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफा दे दिया। सिंधिया के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद मध्यप्रदेश के छह राज्य मंत्रियों सहित 19 कांग्रेस विधायकों ने भी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। वहीं, तीन ने बाद में इस्तीफा दिया। सिंधिया के इस कदम ने कमलनाथ सरकार को संकट में डाल दिया है।
वहीं, मंगलवार सुबह ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, जो एक घंटे से ज्यादा वक्त तक चली थी। इसके बाद से ही सिंधिया के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं। कयास लगाए जा रहे हैं कि सिंधिया जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
राज्य की सरकार को लेकर ताजा हालात यह हैं कि दोनों ही दल फिलहाल अपने-अपने विधायकों को साधने में जुटे हुए हैं। कांग्रेस ने सज्जन सिंह वर्मा और डॉ. गोविंद सिंह को बंगलूरू भेजा है। दोनों नेता वहां 19 बागी विधायकों में से कुछ से मिलेंगे और पार्टी में वापस आने के लिए मनाएंगे। वहीं, स्थिति और खराब न हो जाए, इसके लिए कांग्रेस ने अपने बाकी विधायकों को बुधवार सुबह जयपुर भेजने का फैसला किया है।
वहीं, भाजपा भी अपने विधायकों को नई दिल्ली ले गई है। देर शाम तक यह तय नहीं हो सका था कि भाजपा अपने विधायकों को दिल्ली ले जाएगी या बंगलूरू। जब भाजपा विधायकों को ले जा रही बस भोपाल एयरपोर्ट पहुंची, तब वहां भाजपा नेता गोपाल भार्गव ने स्पष्ट किया कि वह सभी पार्टी विधायकों के साथ दिल्ली जा रहे हैं। भाजपा विधायक गुरुग्राम के आईटीसी ग्रांड भारत में रुकेंगे।
ई-टेंडरिंग, व्यपाम, हनीट्रैप में होगी कार्रवाई
इधर कांग्रेस ने मंगलवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अगुवाई में विधायक दल की बैठक की। जानकारी के मुताबिक इस दौरान ई-टेंडरिंग, व्यापम और हनीट्रैप जैसे मामलों पर कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की गई। बैठक में भारतीय जनता पार्टी द्वारा जनादेश प्राप्त कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों की घोर निंदा करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया गया।
भाजपा बोली- यह मात्र शुरुआत, कांग्रेस ने कहा- चिंता की बात नहीं
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने प्रदेश के ताजा हालातों को लेकर कहा कि ये तो मात्र शुरूआत है, ऐसा अन्य राज्यों में भी होगा। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है, हम अपना बहुमत साबित करेंगे। हमारी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
सिंधिया का समर्थन करने वाले मंत्रियों-विधायकों में भी मतभेद!
जानकारी के मुताबिक सिंधिया का समर्थन करने वाले मंत्रियों और विधायकों ने उनके इस्तीफे के साथ अपना इस्तीफा तो दे दिया, लेकिन उनके बीच मतभेद हैं। सूत्रों के मुताबिक कई विधायक इस बात से राजी नहीं हैं कि सिंधियां भाजपा का हिस्सा बनें। ऐसे विधायकों का कहना है कि वह (सिंधिया) कांग्रेस के साथ रहें या न रहें लेकिन भाजपा का साथ न दें।