नीमच को फिर एक 'मसीहा' मिल गया जैसे...जैसे पोस्टर देखकर किसी सुपरहिट फिल्म की उम्मीद में थियेटर तक जाते हैं और पता चलता है की फ़िल्म फ्लॉप है, उसी तरह नीमच के पत्रकार हर बार नए कलेक्टर की आमद पर गर्मजोशी से सवालात की बौछार करते हैं। सवालात जो जनता के मन में हैं।
पिछले 5 कलेक्टरों से भादवामाता मंदिर परिसर की व्यवस्था सुधारने, जिला चिकित्सालय में फैली अव्यवस्था, रेती माफीया, बेरियर पर वसूली आदी जटिल समस्याओं को ले कर प्रश्न किये गए। होता क्या है? नवागत कलेक्टर एक दिन भादवामाता दर्शन करने जाते हैं, मास्टर प्लान को लेकर कुछ निर्देश देते हैं और पत्रकार समाचार पत्रों में पांच कॉलम की खबर छापते हैं "अब होगा भादवामाता का कायाकल्प" !!
ऐसा तो नही हुआ लेकिन कोई डेढ़ साल में तो कोई कलेक्टर 3 माह में अपना 'कायाकल्प' कर चल देता है। जिला चिकित्सालय में पुताई-सुताई, सफाई आदी से ज्यादा बात कभी नही बढ़ पाई।
भारी ठंड में कोई कलेक्टर सुबह 10 बजे जिला चिकित्सालय में जा कर धूप ले ले तो फिर चार कॉलम मिलते हैं अखबार में " जिला चिकित्सालय के कायाकल्प को लेकर कलेक्टर गंभीर" !!
बेरियर का भ्रष्टाचार हमारे यहां कलेक्टर की 'कुव्वत' से बाहर की बात है। यह भ्रष्टाचार ना शिवराज के 'रामराज्य' में खत्म हुआ ना कमलनाथ की 'चक्की' में पीस पाया।
अलबत्ता इस भ्रष्टाचार की 'गंगा' की धारा के मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचने की खबरें ज़रूर आती रही।
हम विद्यार्थी थे जब सुनते और मानते थे की कलेक्टर जिले का राजा होता है, आज चपरासी की हैसियत नजर नही आती उनकी।
विश्वास ना हो तो आजमा के देख लीजिए। कलेक्टर/एसडीएम के पास किसी काम से जाईये, नही होने पर चपरासी के पास जाईये, थोड़ा 'महंगा' पड़ेगा मगर हो जाएगा। भ्रष्टाचार इस कदर फैला है कलेक्टर कार्यालय में की नए कलेक्टर साहब चकित रह जाएंगे।
कलेक्टरों ने अपनी हैसियत खुद घटा ली। सरकारों के इशारों पर नाचना और जिस राजनितीक दल की सरकार है उस दल के नेताओं को जिस तरह का भाव दिया कलेक्टरों ने की खुद उनके भाव गिर गए। जबकी कलेक्टर के पास सारे पॉवर हैं, भोपाल में बैठे किसी मंत्री को इतनी फुरसत नही की नीमच के किसी छुटभैये नेता की शिकायत पर कलेक्टर पर कार्यवाही करे मगर फिर भी IAS हो कर भी 10वी 12 वी अनुत्तीर्ण नेताओं की ऐसी फिक्र क्यों ?
नीमच में देखिए पिछले पांच कलेक्टरों की कोई बड़ी उपलब्धी जिले के लिए याद आती हो तो बताइए। हर कलेक्टर ने परम्परा कायम रखते हुए सुनिश्चित किया की जो समस्याएं उनके आने के पहले थी, उनके जाने के बाद भी बनी रहे।
सरकारी कार्यक्रमो और सरकार के आदेशों को तत्परता से पूरा करने के प्रयासों का दिखावा मात्र सामने आया। जिले में भोगोलिक, सामाजिक या आर्थिक संसाधनों के साथ विकास की संभावनाओं के मद्देनजर जिले के लिए कोई योजना, परियोजना या नवाचार सामने नही आया। अब फिर से जिले को नए कलेक्टर मिले हैं। वह भी तब जब पता नही उन्हें जिले की कमान सोंपने वाले 'मुख्यमंत्री' जी का ही ठिकाना नही की उनकी स्वयं की कुर्सी कब तक कायम रहेगी? कलेक्टर साहब जनता से जुड़ कर नीमच जिले की जनता के लिये उद्देश्यपरक, कल्याणकारी योजनाओं पर काम करने में दिलचस्पी लें और नीमच की वर्षों से लंबित मांगो पर साहस के साथ निर्णय ले कर बगैर भेदभाव किये कलेक्टर के अधिकारों का प्रयोग करेंगे तो नीमच की जनता जय-जयकार करेगी "जिले के राजा जिंदाबाद" ...
~कपिलसिंह चौहान
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