सिस्टम की मौन सहमति से देश मे पहुँच रहा "पहाड़ी पोस्ता"..... बर्मा से इम्फाल और दिल्ली से निजी ट्रेवल्स बसों के माध्यम से पनप रहा प्रतिबंधित कारोबार..... मंडी के स्थानीय पोस्ता कारोबारियों को दी जा रही सप्लाय...... सवालों के घेरे में सरकार का सिस्टम और "कस्टम" की कार्यप्रणाली.....?
नीमच//मालवांचल के अफीम खेतों से निकला पोस्ता दाना इन दिनों देश भर की सुर्खियां बना हुआ है, कहीं नीमच पोस्ता मंडी से जुड़ी मादक पदार्थो की तस्करी की खबरें तहलका मचा रही है, तो कहीं कस्टम विभाग से सांठगांठ के रास्ते पहाड़ी पोस्ता नीमच के पोस्ता व्यापरियों के ठिकानों तक पहुँच रहा है, जहाँ पोस्ता कारोबार से जुड़े दो नम्बरी व्यवसायी एक तरफ सिस्टम को चुनोती दे रहे है, तो वहीं दूसरी और मालवा के अफीम किसानों को बड़ा नुकसान पहुँचाने की साजिशों को अंजाम दे रहे है...पोस्ता कारोबारियों की कारगुजारियों से जुड़ा तस्करी का काला सच और इसके बाद कारोबारी जगत में उठा बवाल अभी शांत भी नही हुआ, की पोस्ता कारोबार से जुड़ी दो नम्बरी गतिविधि का एक और सच इन दिनों निकलकर सामने आया है...
जिंसने सरकार की व्यवस्थाओं और नोकरशाही की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है...!
खबर है, की पोस्ता कारोबार से जुड़ी एक गेंग इन दिनों इम्फाल से लेकर नीमच तक चर्चाओं में है, जो नीमच के स्थानीय पोस्ता कारोबारियों से मिलकर अवैध रूप से पहाड़ी पोस्ते का आयात कर रही है,,,बर्मा से इम्फाल पहुँचने के बाद दिल्ली और फिर निजी ट्रेवल्स बसों में यह पोस्ता नीमच तक पहुँच रहा है, यहाँ से पहाड़ी पोस्ता गेंग स्थानीय कारोबारियों को इसकी सप्लाय देती है, जिसे मालवा के अफीम खेतों से निकले पोस्ते में मिलाया जाता है, जिसका मोटे दामों पर देश भर में खुला कारोबार किया जा रहा है...भारत सरकार को गुमराह कर कस्टम अधिकारियों से सांठगांठ के रास्ते नीमच तक पहुँचने वाले पहाड़ी पोस्ते की इस गेंग के तीन मुख्य सदस्य है, जो पोस्ता कारोबार की इस दो नम्बरी गतिविधि में सबसे ज्यादा सक्रिय है...इसी के साथ ही दिल्ली से नीमच तक पहाड़ी पोस्ता गेंग के सारथी रूप में गायत्री और बालाजी जैसे निजी ट्रेवल्स का संचालक है, जिसकी यात्री बस में पड़ोसी मुल्कों का पोस्ता अवैध रूप से देश मे अपने गंतव्य तक पहुँच रहा है...और इस बीच अवैध कारोबार का यह सफर बिना किसी रोक टोक के सफलता के साथ तय किया जा रहा है, जहाँ "सिस्टम" की नाकामी नही बल्कि "मौन सहमति" से सब कुछ बड़ी आसानी से हो जाता है...!