शंशाक यादव की बिछाई हुई, वसूली की बिसात में "भूरा" जैसे प्यादे भी शामिल..... ऊपर तक फैली घूसखोरी में अदने से कर्मचारियों का अहम किरदार...... नारकोटिक्स के अन्दरखाने का "भूरा" और "चंपा" जैसे दलालों ने मचाया वसूली का तांडव...... घूसखोर अधिकारियों के दो कुबेर पुत्र जो एक दशक से चूस रहे, किसानों का खून........
नीमच//घूसकांड मामले में एसीबी के शिंकजे के बाद सलाखों के पीछे कैद हुआ,अफीम फेक्ट्री का निलंबित महाप्रबंधक शशांक यादव ने अफीम काश्तकारों से वसूली की ऐसी बिसात बिछाई की, ऊपर से लेकर नीचे तक फैले दलालों के रैकेट से अब धीरे-धीरे पर्दा उठता जा रहा है, घूसकांड के दलदल में गोता लगाने वाले अफीम फेक्ट्री के अधिकरियों से लेकर अदने से कर्मचारी और चंपा जैसे दलाल वसूली गेंग की इस फेहरिस्त में शामिल है, जिन्होंने अफीम काश्तकारों को वाटर मिक्स, मार्फिन की मात्रा और अफीम के पट्टे काटने, बचाने के नाम पर बुरी तरह लुटा, और अफीम किसानों से लूट का यह आंकड़ा हजारों लाखों में नही बल्कि कई करोड़ो में था, जिसकी रेवड़ी शशांक यादव जैसे अफीम फेक्ट्री के उच्च पद पर आसीन घूसखोर सहित "भूरा" जैसे अदने से कर्मचारी और "चंपा" तक बटती थी...!
शशांक यादव के खिलाफ एसीबी की कार्यवाही के बाद से ही यह तो तय हो चुका था, की अफीम फेक्ट्री में किसानों से वसूली के इस खेल को विगत कई समय से बड़े अदब से अंजाम दिया जा रहा था, जिसका मुख्य सूत्रधार दलाल चंपा और फेक्ट्री प्रबन्धन से जुड़ा अदना सा कर्मचारी "भूरा" था, जिन्हें दबोचने में एसीबी के हाथ अब भी खाली है...?
बहरहाल एसीबी की और से हजारों पन्नो की चार्ज शीट कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है, जिसमें घूसकांड से जुड़ी दबी छिपी हकीकत की पूरी कुंडली है, लेकिन इस बीच एसीबी के शिकंजे से "चंपा" और "भूरा" जैसे दलाल अब भी दूर है, जिन्होंने मैदानी मोर्चा संभालते हुए, वसूली का तांडव मचाया और भारत सरकार के एक महत्त्वपूर्ण संयंत्र अफीम फेक्ट्री को घूसखोरी का अड्डा बना दिया...
बताया जाता है, की नीमच के आसपास अफीम किसानों से वसूली का जिम्मा भूरा के पास था, तो वहीं जीरन क्षेत्र के काश्तकारों का खून चूसने का काम दलाल चंपा ने किया, खबरों के मुताबिक घूसखोर शशांक यादव के खिलाफ एसीबी की कार्यवाही के बाद से ही "भूरा" और "चंपा" ने भी मुवमेंट करना शुरू कर दिया था, और एसीबी के हाथ इनके गिरेबां तक ना पहुँचे इसके लिए, तोड़बट्टा प्रबन्धन का काम "भूरा" ने संभाला जो कहने को तो अफीम फेक्ट्री का अदना सा नोकरशाह है, लेकिन लगभग एक दशक से "भूरा" अफीम फेक्ट्री के रिश्वतखोर अधिकारियों का कुबेर पुत्र बनकर किसानों से वसूली को अंजाम देता आया है....ऐसे में अब घूसकांड मामले में एसीबी की जांच और इसकी आंच कहाँ किस पर कब गिरेगी यह तो कहा नही जा सकता, लेकिन रैकेट से जुड़े जिन दलालों के नाम सार्वजनिक रूप से सामने आ रहे है, उनमें "भूरा" और "चंपा" जैसे दलालों को चिन्हित कर उनकी खाक छानना भी एसीबी के लिए बेहद आवश्यक है...!