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होमगार्ड की नोकरी करते हुए, "भूरा" बना नारकोटिक्स का तथाकथित कर्मचारी...... वसूली की काली कोठरी में "भूरा" के साथ भृष्ट अधिकारियों ने किए काले हाथ....... अफीम के खेतों से लेकर नारकोटिक्स के गलियारों तक मंडराने वाले दलालों पर किसकी मेहरबानी...? दलाल "भूरा" और "चंपा" की प्रताड़ना से त्रस्त किसानों ने तोड़ी चुप्पी........

नीमच//अफीम फेक्ट्री घूसकांड मामले एसीबी द्वारा ट्रेप किया गया, घूसखोर अधिकारी शशांक यादव आज भले ही सलाखों के पीछे धकेला जा चुका है, लेकिन अफीम कारखाने में किसानों से वसूली के इस खेल के कुख्यात खिलाड़ी आज भी शिंकजे से दूर है, जिन्होंने घूसखोर अधिकरियों की दलाली करते हुए,अंचल के अफीम काश्तकारों को जमकर लुटा और अवैध वसूली के समंदर में गोता लगाते हुए, खुद के भी वारे न्यारे किये...कहीं चंपा जैसा मामूली ट्रेवल्स संचालक आज चंपा सेठ बन गया तो कहीं होमगार्ड की नोकरी करने वाला दलाल "भूरा" काली कमाई का कुबेर बन बैठा, मसलन नारकोटिक्स के घूसखोर अधिकरियों के लिए दलाल बनकर तकरीबन एक दशक से किसानों को लूटने वाले, भूरा और चंपा आज एसीबी जैसी निष्पक्ष जांच एजेंन्सी के सामने चुनोती बनकर खड़े है, और घूसकांड की इस काली कोठरी से निकलने की हर सम्भव कोशिशों में जुटे है...?
यहाँ बात करें घूसकांड मामले में एसीबी द्वारा की गई, अब तक की कार्यवाही को लेकर तो शशांक यादव को ट्रेप करने के बाद एसीबी की टीम ने अफीम कारखाने के अन्दरखाने तक वसूली के इस इस खेल की बारीकी से पड़ताल करते हुए, घूसखोरी में शामिल अन्य दो लोगों को भी चिन्हित किया, जिनमें प्रयोगशाला में पदस्थ दीपक यादव और अजीत सिंह के नामों का खुलासा हुआ, हालांकि घूसकांड के इन दोनो ही किरदारों के खिलाफ कोई सख्त कदम तो नही उठाया गया, लेकिन एसीबी की और से दोनों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के सबंन्ध में वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा गया है...इस बीच मामले की जांच के दौरान ही एक ने नोकरी से इस्तीफा दे दिया है, तो वहीं दूसरे का स्थानांतरण अन्यत्र स्थान पर कर दिया गया...ऐसे में अकेले शशांक यादव को छोड़ घूसकांड में शामिल अन्य संदिग्धों के खिलाफ कितनी सख्ती बरती गई, इसका अंदाजा भी साफ तौर पर लगाया जा सकता है...?
और इन्ही संदिग्ध चेहरों में भूरा और चंपा जैसे दलाली के मुख्य सूत्रधार भी शामिल है, जो अफीम के खेतों से लेकर नारकोटिक्स के गलियारों तक मंडराते रहे, और करोड़ो की अवैध वसूली को अंजाम देते रहे, होमगार्ड की नोकरी करने वाला "भूरा" नारकोटिक्स का तथाकथित कर्मचारी बनकर किसानों से वसूली को अंजाम देता गया, लेकिन अफीम फेक्ट्री की घूसखोर नोकरशाही के बीच वह कभी ट्रेप नही हो सका, ऐसे में गौर करने वाली बात तो यह है, की क्षेत्र के हजारों अफीम काश्तकारों से अफीम की गाढ़ता और पट्टे के नाम पर करोड़ो की चंदा वसूली करने वाले, दलाल "चंपा" और "भूरा" की कारगुजारियों को एसीबी के एक्शन के बाद भी क्यों नजर अंदाज किया जा रहा है यह बड़ा सवाल है...?
बताया जा रहा है, की भूरा के कारनामों और काली कमाई से अर्जित उसकी अवैध सम्पत्तियों को लेकर भी एक शिकायत लोकायुक्त को की गई है, जिस पर जल्द एक्शन लिया जा सकता है, वहीं खबर है, की "भूरा" और "चंपा" की प्रताड़ना से त्रस्त अफीम काश्तकारों ने भी अब चुप्पी तोड़ते हुए, इन दलालों के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है, जिसके परिणाम जल्द ही सामने होंगे...!

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