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चर्चाओं में एनडीपीएस के एक मामले में 47 लाख का खड़ा तोड़ मनासा के अनिल और जांच.... एजेंसी के बीच बड़ा सेटलमेंट.... तस्करों के साथ आडे-खड़े को टेढ़े-मेढ़े तोड़ की जिले में बनाई गई परिपाटी.....

नीमच//मादक पदार्थो की तस्करी से जुड़े माफियाओं के खिलाफ जांच एजेंसियों का शिकंजा और कार्यवाही के दौरान होने वाले खड़े-आड़े तोड़ अक्सर जिले में पुलिसिया कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए, सुर्खियां बटोरते रहे है, तस्करी के खिलाफ होने वाली कार्यवाही जितनी सफल और प्रभावी होती है, उतने ही दम-खम से एनडीपीएस के मामलों में बड़े सेटलमेंट की संभावनाओं से भी इंकार नही किया जा सकता, मसलन "आम के आम गुठलियों के दाम" वाली कहावत को अक्सर जांच एजेंसिया चरितार्थ करती आई है, जहाँ तस्करी के कारोबार में शामिल छोटी मछलियों के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसते हुए, सफलता का गुणगान किया जाता है, तो वहीं तस्करी से जुड़े कुख्यात मगरमच्छों से बे-हिसाब तोड़बट्टा कार्यवाही के दौरान कर लिया जाता है,
लिहाजा एनडीपीएस से जुड़ी कार्यवाही में पारदर्शिता की पूरी स्क्रिप्ट लिखी जाती है, ताकि सवालों और आशंकाओं की कोई गुंजाइश ही ना बचे, ऐसे में मादक माफियाओं और जांच एजेंसी के बीच मधुर सबंधो की कहानी महज मीडिया की सुर्खियों तक ही सिमट कर रह जाती है...जिसका फायदा अक्सर कुछ करप्ट कर्मी और अधिकारी उठाते रहे है, जिनके तस्करों के साथ खड़े-आड़े और टेढ़े-मेढ़े तोड़ की एक परिपाटी सी बन गयी है...?
ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों प्रकाश में आया है, जहाँ नीमच-मनासा के बीच जांच एजेंसी ने एनडीपीएस से जुड़ी एक कार्यवाही के दौरान तस्करों के साथ बड़ा सेटलमेंट मौके पर किया, बताया जा रहा है, खड़े तोड़ की कीमत तकरीबन 47 लाख रुपये थी, जिसे मनासा के एक तस्कर अनिल के साथ अंजाम दिया गया...सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक बीते चार दिन पूर्व जांच एजेंसी को प्राप्त मुखबिर सूचना के आधार पर मनासा की और से आ रहे एक संदिग्ध वाहन को रोकते हुए, उसकी तलाशी ली गयी, जिसमें अवैध मादक पदार्थ डोडाचूरा पाया गया, जानकारी के मुताबिक भारी मात्रा में तस्करी हेतु ले जाया जा रहा, अवैध डोडाचूरा के खिलाफ जितनी सख्त और त्वरित रूप से कार्यवाही को अंजाम दिया गया, उतनी ही सक्रियता के साथ मामले में सेटलमेंट भी किया गया, और तस्करी के मुख्य सरगना "तस्कर अनिल" के साथ तकरीबन 47 लाख का खड़ा तोड़ किया गया....?
ऐसे में मामले की हकीकत से पर्दा उठाने के लिए, पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भी संज्ञान लेते हुए, गम्भीरता बरतने की आवश्यकता है, ताकि एनडीपीएस से जुड़ी खड़े-तोड़ की इस कहानी से पर्दा उठने के साथ ही सबंधित जांच एजेंसी से जुड़े जिम्मेदारों की संदिग्ध कार्यप्रणाली और उसके कारनामों की हकीकत भी सामने आ सके...!

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