कभी प्रदेश की आदर्श मंडियों में शुमार रहने वाली, नीमच की कृषि उपज मंडी आज किसानों के शोषण, कुछ व्यापरियों की अवैध गतिविधियों, आढ़तियों के आतंक, और मंडी प्रशासन के जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते, सुर्खियों में है, कभी लाल गुलाब गेंग का आतंक किसानों की खून पसीने की कमाई पर डाका डाल रहा है, तो कभी मंडी में मौजूद साहूकारों का चोला पहने आढ़तियों का गिरोह मंडी प्रशासन को चुनोती देते हुए, किसानों का शोषण करने पर आमदा है, जिसका आतंक मंडी की लाल गुलाब गेंग से भी कही अधिक है, जहाँ मंडी प्रशासन की गम्भीरता भी शून्य है...किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए, विगत कई वर्षो से प्रतिबन्धित इस आढ़त प्रथा का चलन नीमच मंडी में कुछ आढ़तियों की मनमानी और मंडी प्रशासन की भृष्ट कार्यप्रणाली के आगे अपने पूरे शबाब पर है, जहाँ आढ़त प्रथा के खिलाफ कार्यवाही की बजाय आढ़तियों को संरक्षण दिया जा रहा है, और इसके बदले "लिफाफा प्रथा" की और अधिक गम्भीरता मंडी प्रशासन के जिम्मेदारों की और से दिखाई जा रही है,,,जहाँ सम्भवतः कार्यवाही की सभी संभावनाएं ध्वस्त हो जाती है...?
बात करें लहसन मंडी प्रांगण की तो यहाँ आढ़तियों का एक बड़ा सिंडिकेट सक्रिय तौर पर किसानों को दिन में तारे दिखाकर उनका शोषण करने को तैयार खड़ा है, जो हर दिन प्रतिबन्धित आढ़त प्रथा के सारे कानून-कायदों की धज्जियां उड़ा रहा है, वहीं इस गतिविधि के विपरीत यहाँ मंडी प्रशासन के जिम्मेदारों की मौन सहमति मंडी में पनप रहे, अवैध कारोबार को स्पष्ट तौर पर बढ़ावा देने का काम कर रही है...!
मंडी में अशोक मेहता, चांद मुकेश आढ़तियों के इस गिरोह का मुख्य सरदार माना जाता है, जिनकी सरपरस्ती और मंडी प्रशासन का संरक्षण आढ़त प्रथा के खिलाफ सरकार के फरमान को भी खुली चुनोती दे रहा है...!