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जूस की चुस्की के साथ आईपीएल में लग रहा सट्टा माफियाओं का दांव..... सीआरपीएफ रोड़ स्थित गन्ने की चरखी पर सजा सट्टा बाजार..... सटोरियों का पनाहगार, योगेश बागड़ी का चरखी वाला गुर्गा.... गोपनीय ठिकानों से लेकर सड़क किनारे तक बना सट्टा माफियाओं का ठिकाना......

नीमच//पॉश इलाकों से लेकर लग्जरी कारों और महंगी होटलों से लेकर छोटे कस्बों में सट्टे का बाजार सजाने वाले माफियाओं के लिए इस अवैध कारोबार को अंजाम देना, एक सामान्य सी गतिविधि बन चुकी है, जहाँ क्रिकेट सट्टे से जुड़े कुख्यात माफियाओं की सरपरस्ती में सट्टा गैंग के सदस्य पूरे प्लान के तहत बखूबी इस अवैध कारोबार को अंजाम तक पहुँचाने में हर मर्तबा कामयाब हो ही जाते है, और यहाँ बात करें आईपीएल जैसे क्रिकेट के महा आयोजनों के दौरान पुलिस की सक्रियता को लेकर तो काले कारोबार के खिलाफ कार्यवाही की सख्ती यहाँ महज दावों तक ही सिमट कर रह जाती है, और हर बार की तरह सट्टा माफिया अपनी मंशाओं में सफल होकर कानून व्यवस्था को धता साबित कर देता है, इस दौरान पुलिस की सख्ती यदि कही नजर भी आती है, तो वो महज उन प्यादों के खिलाफ जो सट्टा माफिया के इशारों पर उसके काम को अंजाम देते है, और इसके बदले काली कमाई का एक मोटा हिस्सा भी उन्हें दिया जाता है, जहाँ कंडीशन पुलिस की "रिस्क" की भी रखी जाती है,
हालांकि स्थानीय तौर पर पनपने वाले इस गोरखधंधे से जुड़ी गतिविधियों का मामला पूरी तरह पहले से ही सेट कर लिया जाता है, जहाँ सट्टा माफिया की गैंग खुलकर बेखोफी के साथ क्रिकेट आयोजनों के दौरान एक्टिव मोड़ पर रहती है, और ऐसे में पुलिस की रिस्क का मसला तो यहाँ लिफाफों में ही निपट जाता है...
कुछ ऐसी ही हकीकत को बंया करता हुआ उदाहरण नीमच में देखा जा सकता है, जहाँ बड़ी संख्या में क्रिकेट सट्टे से जुड़े शौक-मिजाज नव युवक की फौज खड़ी हो चुकी हैं, जिनके हौसलों के आगे सख्त कानून भी बोना नजर आता हैं...बात करें शहर में बेख़ौफ़ पनप रहे सट्टा कारोबार के हालातों की तो यहाँ सड़क किनारे खड़ी गन्ने की चरखी भी इससे अछूती नही है, जहाँ आईपीएल के दौरान सट्टे का जहर दिन दहाड़े माफियाओं द्वारा घोला जा रहा है, जानकारी के मुताबिक शहर के सबसे व्यस्ततम और सुरक्षा की दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले सीआरपीएफ रोड़ के यह हालात है, जहाँ योगेश बागड़ी जैसे सट्टा माफिया की गैंग गन्ना चरखी की आड़ में सट्टे की दुकान सजाकर बैठी है, चौकानें वाली बात तो यह है, की पुलिस से लेकर प्रशासनिक स्तर के आला अधिकारियों का यह रेसिडेंशियल एरिया (ऑफिसर्स कॉलोनी) है, जहाँ एसपी-कलेक्टर सहित जिले के हर छोटे-बड़े अधिकारीयों की आवाजाही निरन्तर बनी रहती है, और ऐसे में सटोरियों की बेखोफी का अन्दाजा भी इसी बात से लगाया जा सकता है, की काले कारोबार को अंजाम देने कानून का कितना उन्हें ख़ौफ है...!

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