पूर्व पार्षद ने जनप्रतिनिधियों पर समस्या को उलझाने का लगाया आरोप बंगला बगीचा क्षेत्र की जनता की आवाज उठाने में नाकाम रहे हमारे क्षेत्रीय विधायक- एडवोकेट अमित शर्मा.....
नीमच //शहर की सबसे बड़ी एवं पुरानी समस्या बंगला बगीचा समस्या का समाधान करने में कांग्रेस एवं भाजपा दोनों ही पार्टियों के जनप्रतिनिधि पूरी तरह से नाकाम रहे हैं यह बात प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पूर्व पार्षद एवं एडवोकेट अमित शर्मा द्वारा कही गई । दोनों ही पार्टियों के जनप्रतिनिधि चुनावों से पहले तो इस समस्या के समाधान के दावे करते रहे परंतु चुनाव होने के बाद से ही दोनों पार्टियों के जनप्रतिनिधियों ने बंगला बगीचा क्षेत्र की जनता के साथ छल किया भारतीय जनता पार्टी द्वारा बंगला बगीचा व्यवस्थापन अधिनियम लागू कर इस समस्या के समाधान के लिए कुछ कदम जरूर उठाएं परंतु इन कदमों में कानूनी खामियां रहने के कारण बंगला बगीचा क्षेत्र की जनता को पूरी तरह से राहत नहीं मिल पाई वहीं दूसरी ओर बंगला बगीचा व्यवस्थापन अधिनियम के तहत व्यवस्थापन करवाने वाले बंगला बगीचा क्षेत्र के नागरिकों को भारी वित्तीय बोझ के तले दबा दिया गया । कई बार मीडिया के माध्यम से एवं आम जनता द्वारा भी क्षेत्रीय विधायक को इस समस्या से अवगत करवाया गया परंतु बावजूद इसके उनके द्वारा बंगला बगीचा समस्या के उचित समाधान हेतु किसी प्रकार के कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए जिस कारण बंगला बगीचा क्षेत्र में रहने वाली आम जनता की समस्या और बढ़ती गई वर्तमान में यह स्थिति यह है कि अपने मेहनत की कमाई से खरीदे गए भूखंडों के व्यवस्थापन कराने के लिए बंगला बगीचा क्षेत्र के निवासियों को लाखों रुपये भरने पड़ रहे हैं । जिस उम्मीद के साथ बंगला बगीचा वासियों ने क्षेत्रीय विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों को जीत का सहरा पहनाया उसपर वह खरे नहीं उतर पाए और इसका खामियाजा उन्हें आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ेगा ।
बंगला बगीचा व्यवस्थापन प्रक्रिया में विलंब शुल्क माफ कर वैध पंजीकृत दस्तावेजों के साथ सम्पत्ति अंतरण अधिनियम के प्रावधान भी लागू हो ।
भाजपा सरकार द्वारा बंगला बगीचा समस्या के समाधान हेतू सकारात्मक प्रयास करते हुए 26 मई 2017 को व्यवस्थापन अधिनियम लागू किया । व्यवस्थापन अधिनियम में व्यवस्थापन हेतू वैध पंजीकृत दस्तावेज चाहे गए हैं । मूलतः किसी भी सम्पत्ति के अंतरण हेतू सम्पत्ति अंतरण अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं परंतु व्यवस्थापन प्रक्रिया के दौरान वैध पंजीकृत दस्तावेज ही मान्य किये जा रहे हैं जबकि सम्पति अंतरण अधिनियम के अनुसार वसीयत, हिब्बा एवं पारिवारिक बंटवारा रजिस्टर्ड होना आवश्यक नहीं है । बंगला बगीचा क्षेत्र में लंबे समय तक बिना किसी अड़चन के रजिस्ट्रियां एवं नामांतरण होते रहे परन्तु वर्ष 2010 में कलेक्टर द्वारा आदेश जारी कर रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गई थी । रोक के पश्चात 26 मई 2017 को व्यवस्थापन अधिनियम लागू किया गया । अधिनियम लागू होने के बाद व्यवस्थापन हेतु बहुत कम आवेदन प्राप्त हुए एवं बहुत ही धीमी गति से आवेदनों का निराकरण किया जा रहा है जिसका बड़ा कारण यह है कि बंगला बगीचा समस्या के समाधान हेतु सम्पत्ति अंतरण अधिनियम के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए मनमाफिक तरीके से समस्या का समाधान किया गया है । बंगला बगीचा क्षेत्र में लगभग 15000 मकान एवं हजारों खुले भूखण्ड है जिनका व्यवस्थापन किया जाना है जबकि दूसरी और बहुत ही कम आवेदनों का ही निराकरण हो पाया है ऐसे में बंगला बगीचा क्षेत्र के अभी हजारों व्यवस्थापन हेतू आवेदन आना बाकी है । व्यवस्थापन अधिनियम लागू होकर लगभग 60 महीने पूर्ण हो चुके हैं और आवेदन के साथ 1% प्रतिमाह की दर से विलम्ब शुल्क लगना है ऐसे में बंगला बगीचा क्षेत्र की जनता पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा जबकि बंगला बगीचा वासी हमेशा से ही सम्पत्ति कर एवं अन्य कर भरते चले आ रहे हैं । ऐसे में आमजन पर विलम्ब शुल्क का बोझ डालना उचित नहीं है । बंगला बगीचा व्यवस्थापन प्रक्रिया में विलंब शुल्क माफ कर वैध पंजीकृत दस्तावेजों के साथ सम्पत्ति अंतरण अधिनियम के प्रावधान भी लागू हो । वर्ना आने वाले समय में सत्ताधारी पार्टी को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है ।