कागजों में दफन हुए नियम और सरकारी दफ्तरों में दम तोड़ रहा शिकायतों का पिटारा.... भृष्ट तंत्र ने निकाली मामा की सख्ती और बुल्डोजर की हवा..... धन-बल के दम पर बदल गई, वैध-अवैध की परिभाषा..... सरकारी नियमों पर भारी पड़ गई, रसूखदार डॉ.साहब की असरदार एप्रोच......
नीमच//हिस्ट्रीशीटर अपराधियों के अवैध कब्जों और नियम विरुद्ध प्रदेश के अलग-अलग शहरों में सांठगांठ की बुनियाद पर खड़ी की गई, इमारतों पर मामा का बुल्डोजर भले ही चला है, और हर वो इमारत पीले पंजे की जद में आई है, जो या तो किसी हिस्ट्रीशीटर अपराधी की अवैध संपत्ति थी, या किसी रसूखदार ने अपने धन-बल और बाहुबल के दम पर उसे खड़ा किया था...लिहाजा सूबे की शिवराज सरकार का यह पिला पंजा हर उस ढांचे को ढहाने में कामयाब रहा, जिसकी नींव सांठगांठ की बुनियाद पर टिकी हुई थी...!
लेकिन इस बीच रसूखदारों की रंगदारी का प्रभाव प्रदेश में कुछ इस तरह भी सामने आया, जिसनें सरकारी तंत्र को साधकर मामा के बुल्डोजर को ही पीछे धकेल दिया...और धनबल के दम पर वैध-अवैध की परिभाषा ही बदल डाली....नगरीय प्रशासन की नियमावली यहाँ कागजों में दफन हो गई तो वहीं शासन स्तर तक कि गई लाख शिकायतों का पिटारा भी सरकारी दफ्तरों में दम तोड़ गया...नतीजा रहवासी क्षेत्र को व्यवसायिक में बदलने के लिए फेंका गया हर पांसा मामा की सख्ती और बुल्डोजर की हवा निकालने में कामयाब रहा...जो आज सरकारी नियमों और सीएम शिवराज के दावों की पोल खोलता हुआ, कानून की धज्जियां उड़ा रहा है...?
मामला दरहसल प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे छोटे से जिले नीमच का है, जहाँ अवैध गतिविधियों से जुड़े बड़े कारनामों को बड़े अदब से सांठगांठ के रास्ते अंजाम तक पहुँचाया जा रहा है...जहाँ सरकार का सिक्का भी शायद नही चलता...?
रहवासी क्षेत्र के लिए लीज पर आवंटित की गई जमीन पर अवैध रुप से व्यसायिक निर्माण का यह मामला शहर के विख्यात उषा चिकित्सालय से जुड़ा है, जिसके कर्ता-धर्ताओं ने सिस्टम में घुसपैठ कर सिस्टम की ही धज्जियां उड़ा दी...अस्पताल की आड़ में सरकारी जमीन पर किए गए, इस फर्जीवाड़े की शिकायत स्थानीय नगरीय निकाय से लेकर राजधानी के बड़े दफ्तरों और लोकायुक्त तक भी पहुँची...लेकिन रसूखदार डॉ साहब की असरदार एप्रोच सरकारी नियमों के आगे भी भारी पड़ती चली गई...और धनबल के दम पर वैध-अवैध का यह मसला "फ्री होल्ड" पर आकर खड़ा हो गया, जहाँ सांठगांठ और फर्जीवाड़े की बुनियाद पर खड़े किए गए, उषा चिकित्सालय के अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कदम उठाने की हिमाकत शायद अब सिस्टम में भी नही रही...?