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क्या रामपुरा में भाजपा के सफाये का हो गया इंतजाम...? चुनावी में समर में संगठन पर भारी पड़ रही असंतुष्टों की खुद्दारी....छोटे से कस्बे में बड़े उलटफेर के संकेत, भाजपा के शीर्ष नेर्तत्व तक मची हलचल..... रामपुरा में "यशवंत करेल" के रूप में भाजपा की टूटी कमर.....

प्रदेश सहित जिले में होने जा रहे, त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों और आगामी नगरीय निकाय चुनाव के परिणामों से पूर्व ही असंतुष्ट कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की नाराजगी राजनीतिक दलों की कमर तोड़ रही है, और इसी असंतुष्टि का असर कहीं निर्दलीय के रूप में नजर आ रहा है, तो कही दलबदल की बगावत पर लग रही मोहर के रूप में...नतीजा चुनावों में लगने वाली राजनीतिक दलों की ताकत असंतुष्टों को मनाने में ज्यादा खर्च हो रही है, जहाँ कार्यकर्ताओं का आत्मसमान और उनकी खुद्दारी के किस्से जिले की राजनीति में देखने और सुनने को मिल रहे है...!
चौकानें वाला एक बड़ा उदाहरण जिले के रामपुरा कस्बे में सामने आया है, जहाँ दो मर्तबा नगर पंचायत की गद्दी संभालने वाले भाजपा के वरिष्ठ, कद्दावर नेता यशवंत करेल ने भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा है, रामपुरा जैसे छोटे से नगर में राजनीतिक दलों से ताल्लुख रखने वाली यह घटना जिले के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए सामान्य हो सकती है...? लेकिन दलबदल के इस घटनाक्रम ने भाजपा के शीर्ष नेर्तत्व तक खासी हलचल पैदा कर दी है, जहाँ छोटे से कस्बे में बड़े उलटफेर के संकेत अभी से नजर आने लगे है...
आशंकाए व्यक्त की जा रही है, की पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष करेल का भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होना, आगामी नगरीय चुनावों में रामपुरा नगर पंचायत में कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित होगा...जहाँ यशवंत करेल की अगुवाई में अस्सी फीसदी वार्डो में कांग्रेस अपना झंडा गाड़ सकती है...वहीं इसके पूर्व होने वाले पंचयात चुनावों में भी करेल का दबदबा देखने को मिल सकता है, बतादें की पठार क्षेत्र में भी यशवंत करेल अपनी एक अलग राजनीतिक पकड़ रखते है, जहाँ भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों को रामपुरा के इस राजनीतिक उलटफेर का झटका लग सकता है, यहाँ जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक 9 से भाजपा ने श्रीमती मीना गोपाल गुर्जर को अपना उम्मीदवार बनाया है, संभावना जताई जा रही है, की यशवंत करेल के कांग्रेस में शामिल होने से भाजपा को इस वार्ड से काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है...
और यदि ऐसा हुआ,तो ये भाजपा के लिए एक बड़ा झटका होगा...जिसका ठीकरा किसके माथे फूटेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा...
ये तो हुई बात यशवंत करेल के कांग्रेस में शामिल होने के बाद निकाय चुनावों में बनने वाले सम्भावित समीकरणों की...? लेकिन रामपुरा नगर पंचायत में यशवंत करेल के रूप भाजपा की कमर तोड़ने वाले और नगर से भाजपा के सफाये का इंतजाम कैसे हुआ जरा ये भी जान लेते है...दरहसल रामपुरा में दलबदल के इस घटनाक्रम के पीछे स्थानीय विधायक समर्थकों की भूमिका अहम रही है, "जहाँ चाय से ज्यादा केतली गर्म" वाली कहावत अक्सर चरितार्थ होती रही है, बताया जा रहा है, की इन्ही केतलियों की मनमानी के चलते क्षेत्र में पार्टी के अनुभवी नेताओं की उपेक्षा अब तक होती रही है, जिसनें कार्यकर्ताओं की असंतुष्टि को जन्म दिया, जिसका परिणाम यशवंत करेल के रूप में भारतीय जनता पार्टी के सामने आया है, स्वयं यशवंत करेल ने भी मीडिया के समक्ष इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर अपना दर्द बंया करने के साथ ही, कांग्रेस में शामिल होने की खुशी भी जाहिर की है...किसी का नाम लिए बगैर करेल ने इशारों-इशारों में पार्टी की रीति-नीति संगठन में मान सम्मान की परिभाषा और चाटुकारों की परिपाटी को लेकर एक स्पष्टवादी के रूप में हकीकत को बंया किया...!
बहरहाल कांग्रेस ने भी दलबदल के इस घटनाक्रम को भुनाते हुए, आगामी निकाय चुनावों में यशवंत करेल को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है, जहाँ रामपुरा नगर पंचायत के प्रत्येक वार्ड में प्रत्याशी चयन को लेकर यशवंत करेल अहम भूमिका में हो सकते है...!



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