खरीद फरोख्त के खेल में कहीं कांग्रेस तो कहीं भाजपा की अस्मत हुई तार तार.....रामपुरा में भी फेल हुई रणनीति, बंडल के आगे बह गया कांग्रेस का बहुमत.... अध्यक्ष की कुर्सी के लिए लगी थी बोली, और चल गया भाजपा का "बनियावाद"..... सत्ता पर काबिज हुई भाजपा, लेकिन जातिगत वोट बैंक का बिगड़ गया समीकरण.....
नीमच//जिले में निकाय चुनावों के सपन्न होने के बाद अध्यक्ष पद को लेकर नगर पालिका और नगर परिषदों में सामने आए खरीद -फरोख्त के शर्मनाक घटनाक्रम ने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों के निष्ठावान और संकल्पित नेताओं के चेहरे से पर्दा भी उठा दिया है, जिन्होंने नोटों के बंडल के आगे अपने ही संगठन में सेंधमारी कर तय अनुमान के विपरीत परिणामों को ही पलटने अपना अमूल्य योगदान दिया...? जिसका सबसे बड़ा और चोंकाने वाला उदाहरण जीरन और रामपुरा नगर परिषद में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर देखने को मिला है, जहाँ भाजपा बहुमत के बाद भी जीरन नगर परिषद में अपना बोर्ड बनाने में असफल रही, और पार्टी के एक विभीषण ने यहाँ भाजपा की लंका ढहा दी...
और कुछ ऐसा ही हाल रामपुरा नगर परिषद का भी रहा जहाँ नगर की सत्ता के करीब खड़ी कांग्रेस को अपने ही पार्षदों ने बड़ा झटका दिया और यहाँ पाँच सीटों पर सिमटी भाजपा 9 मतों से भाजपा उम्मीदवार श्रीमती सीमा जितेंद्र जागीरदार की जीत के साथ ही परिषद में अपना बोर्ड बनाने में कामयाब रही...!
राजनीतिक सूत्रों की माने तो अध्यक्ष पद के लिए ज्योति यशवंत करेल का चेहरा यहाँ कांग्रेस के कुछ निष्ठावानों को रास नही आया और श्रीमती करेल की दावेदारी के साथ ही उन्हें डेमेज करने की पटकथा भी रच ली गयी, जिसका खामियाजा कांग्रेस को यहाँ भुगतना पड़ा...और पार्टी के कुछ निष्ठावान पार्षदों ने खुद को बेचकर साजिशों की इस पटकथा को अंजाम तक पहुँचाया, जिसके बाद एक दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप और छींटाकशी का घमासान कांग्रेस में अब शुरू हो चुका है...! इधर परिषद में अध्यक्ष पद पर सीमा जितेंद्र जागीरदार की ताजपोशी को लेकर भाजपा में भी अंदरूनी कलह बिखराव का रूप ले चुका है, जहाँ अध्यक्ष पद को लेकर वार्ड नं 9 से निर्वाचित पार्षद और हिंदूवादी भाजपा नेता रचना विजय दानगढ़ की अनदेखी पार्टी का जातिगत वोट बैंक गिरा सकती है, वहीं अध्यक्ष पद की दौड़ के एक अन्य दावेदार प्रेमलता भगवान भोई की नजर अंदाजी भी यहाँ भाजपा को निकट भविष्य में भारी पड़ सकती है, जिनका सामाजिक वोट बैंक कुल 2500 के करीब है...ऐसे में भाजपा की चाणक्य रणनीति ने नगर की सत्ता पर अपना कब्जा तो जमा लिया लेकिन यहाँ रूठों को मनाना और जातिगत वोट बैंक को साधना आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए बड़ा मुश्किल साबित हो सकता है...!