माफियाओं के खिलाफ सरकार की दहाड़, लेकिन मिलावटखोरी के खिलाफ निकला दम.... अपेक्षित परिणामों से दूर "सिस्टम" का मुंह चिड़ा रहे मिलावट के माफिया....गोपनीय ठिकानों पर लग रही जहर की भट्टियां, तय रास्तों से हो रहा परिवहन....मिलावट के तीन माफिया राजू, पवन और मिर्ची सेठ ने खोली सरकार के दांवों की पोल.....
प्रदेश में शराब माफियाओं, से लेकर मादक पदार्थ तस्कर और भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान छेड़कर उन्हें उखाड़ फेंकने का दावा करने वाली शिवराज सरकार को एक नजर अपने पूर्व के अभियानों और उसके वास्तविक परिणामों पर भी डाल देनी चाहिए, जिसकी जमीनी हकीकत आज सरकार के दांवों की पोल खोल रही है...और माफिया इन्हीं दांवों को खोखला साबित करने में कोई कसर नही छोड़ रहे है...मसलन काले कारोबारियों की इस बेखोफी का आलम कुछ इस कदर है, की मानो प्रभावी अभियान के प्रभावहीन होते ही अवैध गतिविधियों का लाइसेंस माफियाओं को सरकार से मिल गया हो, जहाँ अवैध कारोबार का संचालन बड़ी आसानी से किया जा सकता है...?
मसला यहाँ मिलावट खोरों के खिलाफ सरकार के अभियान से जुड़ा है, जो अब बे-दम होकर प्रभावहीन हो चुका है, और शहर में पनप रहे मिलावट के कारोबार में माफियाओं की बे- लगामी को स्पष्ट तौर पर बंया कर रहा है...अभियान के दौरान मिलावट के ठिकानों पर प्रशासनिक छापेमारी, ताबड़तोड़ कार्यवाहियां और माफियाओं के खिलाफ रासुका जैसी कार्यवाही को अमलीजामा पहनाने वाले सिस्टम की नाक के नीचे मिलावट का यह जहरीला कारोबार बड़े पैमाने पर एक बार फिर अपनी जड़े जमा चुका है...जिसके खिलाफ कार्यवाही की आवश्यकता शायद अब नही रही...?
अभियान के दौरान कार्यवाही से बचने और काले कारोबार को अंजाम देने के लिए शहर सहित जिले से सटे राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों का "सीमांकन" करने वाले मिलावट खोरों का कुनबा अब शहर के मध्य भी अपने ठिकाने बना चुका है, जहाँ जहरीले केमिकलों के सहारे मसाला उपज को गुणवत्ता दी जा रही है, और इसी गुणवत्ता के नाम पर रसोई तक जहर पहुँचाने का गोरखधंधा बड़ी आसानी से किया जा रहा है, जहाँ न सरकार का प्रभावी अभियान असरदार है, और न ही सिस्टम से जुड़े जिम्मेदारों की सक्रियता...अगर कुछ नजर आता है, तो वो है, मिलावट खोरों की बेखोफी और बे-लगामी जिस पर किसी का नियंत्रण अब नही रहा...जहाँ गुणवत्ता के नाम पर मिलावट का यह जहर रसोई तक घोला जा रहा है, और मिलावट खोरों की बेखोफी दो राज्यों के सिस्टम का मुंह चिड़ा रही है,,,मसाला उपज के कारोबार से जुड़े हर तीसरे कारोबारी के ठिकानें से मिलावट का यह जहरीला धुंआ उठ रहा है...जिसकी चपेट में अब राजस्थान के सीमावर्ती इलाके भी आ चुके है!
ऐसे में माफियाओं के खिलाफ दहाड़ मारकर उन्हें नेस्तनाबूद करने वाली शिवराज सरकार की सख्ती और उसके सिस्टम की सक्रियता पहले मिलावट खोरी के खिलाफ छेड़े गए अभियान को भी मूर्त देने की और गम्भीरता से कदम उठाए...ताकी मिलावट खोरी के खिलाफ सरकार के अभियान की सार्थकता और अपेक्षित परिणाम सामने आ सके...!