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शिवराज के भृष्ट सिस्टम ने किसान को मरने पर कर दिया मजबूर......?, प्रदेश की भाजपा सरकार में भाजपा से जुड़े किसान नेता ने की आत्महत्या.....घटना के 24 घण्टे बाद भी दोषियों के खिलाफ नही हुई एफआईआर......दोषी पटवारी नवीन तिवारी ने मामले में सेटलमेंट की बिछाई बिसात....

मध्यप्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार की भृष्ट और निक्कमी नोकरशाही से प्रताड़ित किसान ने जहर खाकर मौत को गले लगा लिया, हैरान कर देने वाली बात यह है, की भृष्ट सिस्टम से तंग आकर आत्महत्या करने वाला किसान भाजपा से जुड़ा पदाधिकारी और दक्षिण मंडल किसान मोर्चा का उपाध्यक्ष था...मामला जिले के जीरन थाना क्षेत्र के कुचड़ोद का है, जहाँ भाजपा दक्षिण मंडल किसान मोर्चा उपाध्यक्ष बलवंत दास बैरागी ने लंबे समय से चले आ रहे रास्ते के विवाद में स्थानीय पटवारी और गिरदावर की प्रताड़ना से तंग आकर कीटनाशक गटक लिया...घटना के तुरंत बाद परिजन बलवंत दास को जिला चिकित्सालय लेकर पहुँचे जहाँ उपचार के दौरान किसान ने दम तोड़ दिया...!
मामले में राजनीतिक घटनाक्रम के साथ ही गुरुवार को दिन भर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर परिजन अड़े रहे, वहीं मृतक की जेब से मिले सुसाइड नोट के आधार जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर की मांग भी परिजनों की और से की गई... मामले की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन की और से परिजनों की मांग पर उन्हें आश्वस्त करते हुए, शासन को 50 लाख की आर्थिक सहायता का प्रस्ताव भेजा गया...!
सूबे की शिवराज सरकार और उसके समूचे सिस्टम पर सवाल खड़े करती इस सनसनीखेज घटना के बाद राजनीतिक पारा भी उफान पर आ गया और भाजपा की सरकार में भाजपा नेता की आत्महत्या गंभीर मुद्दा बन गया, जिसे कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने भी भुनाने में कोई कसर नही छोड़ी, और राजनीतिक दृष्टि से ही सही परिजनों को सांत्वना देने बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता जिला अस्पताल में एकत्रित हो गए, और पुरजोर तरीके से परिजनों की मांग को जिला प्रशासन के समक्ष रखा...हालांकि इस मामले में दोषियों पर कार्यवाही करते हुए, हल्का पटवारी और आरआई को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन मामले में दोनों आरोपियों के खिलाफ पुलिस थाने में अब तक कोई एफआईआर नही हो पाई है...बताया जा रहा है, की पटवारी नवीन तिवारी उर्फ नब्बू ने थाना क्षेत्र के एक एसआई के माध्यम से मामले में सेटलमेंट की बिसात बिछाते हुए, मोटी रकम चुकाई है, जिसके चलते मामले में 24 घण्टे बाद भी एफआईआर जैसी कोई बात सामने नही आई है, और आरोपी खांकि की गिरफ्त से अब तक दूर है,,,इस समूचे घटनाक्रम ने सिस्टम को हिलाने के साथ ही शिवराज सरकार की कथनी और करनी को भी उजागर कर दिया है, जहाँ जिम्मेदारों की निक्कमी कार्यप्रणाली ने एक किसान को मरने पर मजबूर कर दिया...और हद तो तब हो जाती है, जब सत्ताधारी पार्टी से जुड़े पदाधिकारियों को ही इस प्रकार का कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ता है, ऐसे में सिस्टम के कारिंदों की एक आम किसान के साथ कि जाने वाली ज्यादती का अंदाजा स्वतः ही लगाया जा सकता है...!

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