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भाजपा-कांग्रेस जैसे दो बड़े दलों को डमरू की तरह बजा गए पटेल....."समंदर" की लहरों में बह गई राजनीतिक पार्टियों की रीति और नीति.....इंदौरी नेता की गहराइयों में छिपी गद्दारी और दोगलापन अंततः हुआ उजागर.....दगाबाजी का लबादा ओढ़कर सत्ता का सुख भोगने की महत्त्वकांक्षा.....

प्रदेश में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियों के साथ ही सत्ता का सुख भोगने की लालसा रखने वाले दावेदारों की हद और राजनीति में उनके उद्देश्यों की नीयत भी तय हो चुकी है, जिसे पूरा करने के लिए हर स्तर पर गिरने में कोई कसर नही छोड़ी जा रही...समाज सेवा की दुहाई देकर पार्टी को माँ मानने की ढींगे हांकने वाले नेता हर कदम पर पार्टी की पीठ में छुरा घोंप रहे है, और फिर इससे भी ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि अपनी रीति-नीति का ढोल पीटने वाली राजनीतिक पार्टियों का स्वाभिमान भी मर सा चुका है, जहाँ गद्दारों को पहली पंक्ति में तव्वजों देकर, निष्ठावान और जमीनी कार्यकर्ताओं के अस्तित्व को खुलेआम रौंदा जा रहा है...
जिसका बड़ा उदाहरण जिले के जावद विधानसभा में कारित हुआ राजनीतिक घटनाक्रम है, जहाँ "समंदर" की लहरों में एक राजनीतिक संगठन से जुड़ा विश्वास, आत्मसम्मान, कार्यकर्ताओं की निष्ठा और जनता का जनाधार तक बह गया..."समंदर" के पीछे लगा हाईप्रोफाइल राजनेता का तमगा इतना असरदार रहा कि उसने कांग्रेस से लेकर भाजपा के दिग्गजों को पटखनी देते हुए, जावद विधानसभा से अपनी दावेदारी लगभग सुनिश्चित कर ली...?लिहाजा अपनी महत्त्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपनाए जा रहे हथकंडों को देखकर यहाँ "समंदर" की गहराईयों में छिपी गद्दारी और दोगलेपन को परिभाषित करने की आवश्यकता नही है...जो कांग्रेस में रहकर पहले महाराज सिंधिया फिर भाजपा में शिवराज और अब कांग्रेस में घर वापसी कर कमलनाथ का राग आलापने लगे है...सभी सूरतों में यहाँ "समंदर" का विश्वासघात कांग्रेस और भाजपा के साथ साफ तौर पर देखा गया...जिसका असर जावद विधानसभा के साथ ही जिले भर की राजनीति पर पड़ेगा...!
बहरहाल दगाबाजी का लबादा ओढ़ने के बाद भी "समंदर" और उसके समर्थकों के बीच यह माना जा रहा है कि इस बार जावद विधानसभा की राजनीति में बड़े उलटफेर के संकेत सामने है...जहाँ कांग्रेस का सूखा समाप्त हो सकता है...लेकिन क्षेत्र की जनता को यह भी जान लेने की आवश्यकता है कि माँ समान पार्टीयों को कपड़ो की तरह बदलने नेताओं के लिए आम जनता की संवेदनाएं, भावनाएँ और उनका विश्वास भी कोई मायने नही रखता जिसे कभी भी "समंदर" की लहरों में बहाया जा सकता है...!

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